बुधवार, 8 जून 2011

तुम्हें तो कोई चिंता ही नहीं,,,,,,,,


अरे सुनो ,
आज तुम्हारी छुट्टी है
कुछ काम करो ,
छोड़ो अखबार
कभी अखबार ,
कभी टीवी बस
ऐसे ही पूरा दिन
गुजार दोगे
एक काम करो 
जाओ बाजार से
दही ला दो,कल होली है
भल्ले बना दूंगी ,और सुनो
दो किलो प्याज भी
मंडी से लेते आना
छांट के लाना ,तुम्हें तो
कोई भी ठग लेता है
तुम्हारा ध्यान,
पता नहीं कहाँ होता है
और प्याज के रेट
अब पंद्रह रुपये है
मांगता बीस है,
अच्छा और सुनो
सुनार की दुकान के बाहर
ठेली लगी है 
दो चिप्स और एक दो पैकेट
और कुछ भी ले लेना
होली है तुम्हारे भुक्कड़ दोस्त
वो भी तो आयेंगे,
हाँ टमाटर, तो में भूल ही गई
वो भी लाना थोडा टाईट वाले
आधा किलो 
देख लेना जरा ढंग से
एकाध तो गला हुआ डालते ही हैं
यह सब्जी वाले
चल दिए ,रुको रुको रुको
यह मेरी चप्पल
पोलिथीन में डाल देती हूँ
चौक में पेड़ के नीचे
मोची से टांका लगवा देना
और सुनो ,जरा जल्दी आना
मेहंदी घोलुंगी 
सिर पे लगा लेना
तुम्हें तो कोई 
चिंता ही नहीं
बस ऐसे ही बने रहते हो
तुमसे तो बस ,,,
गप्पें लगवा लो जी भर के
पूरे देश की चिंता तुम्ही को है
खड़े रहोगे ,जाओ भी अब

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