रावण न तू मरता है
न राम पीछे हटते हैं
हर साल तू
फिर तन के खड़ा हो जाता है
फिर विभीषण तेरा राज
उगलते हैं
फिर तू धोखा खा जाता है
सुन ,इस साल तू
सीता को न चुराना
बस ,अपना सही पता बताना
देख ,तेरे लिए सीता से भी सुन्दर
कई बालाएं स्वयं आ जाएँगी
तेरा तो कोई स्विस बैंक भी नहीं है
जब की तू रावण है
सब कुछ तेरे पास है
बस ,अपनी लंका के फर्श की
कोई टूटी, स्वर्ण टाइल का टुकड़ा दे देना
पर तू अब पंगा न ले, अब राम से
मत गँवा अपनी लंका
बंधू ,मित्र , सखा और पुत्र ,पौत्र
अरे सुन ,यह राम तो जिद्दी है
वह नहीं मानेगा
कैकयी, की जिद के कारण,
वह फिर से वन को जायेगा
अगर वही सुन लेता तो
मैं उसको ही समझाता
कि,जिद न कर
तेरे वन न जाने से ,
दशरथ घुट घुट के न मरता
वह विलाप दृश्य 'रामलीला' में
तीन दिन न चलता
लक्ष्मण और उर्मिला का
विरह न होता
न राम पीछे हटते हैं
हर साल तू
फिर तन के खड़ा हो जाता है
फिर विभीषण तेरा राज
उगलते हैं
फिर तू धोखा खा जाता है
सुन ,इस साल तू
सीता को न चुराना
बस ,अपना सही पता बताना
देख ,तेरे लिए सीता से भी सुन्दर
कई बालाएं स्वयं आ जाएँगी
तेरा तो कोई स्विस बैंक भी नहीं है
जब की तू रावण है
सब कुछ तेरे पास है
बस ,अपनी लंका के फर्श की
कोई टूटी, स्वर्ण टाइल का टुकड़ा दे देना
पर तू अब पंगा न ले, अब राम से
मत गँवा अपनी लंका
बंधू ,मित्र , सखा और पुत्र ,पौत्र
अरे सुन ,यह राम तो जिद्दी है
वह नहीं मानेगा
कैकयी, की जिद के कारण,
वह फिर से वन को जायेगा
अगर वही सुन लेता तो
मैं उसको ही समझाता
कि,जिद न कर
तेरे वन न जाने से ,
दशरथ घुट घुट के न मरता
वह विलाप दृश्य 'रामलीला' में
तीन दिन न चलता
लक्ष्मण और उर्मिला का
विरह न होता
और ,भरत राजमहल में
सन्यासी न होता
अच्छा तू ही समझा दे उसे
कहीं मंथरा के कारण
अपना घर तोडना ठीक है
धोबी के कहने से सीता का त्याग
जरुरी है ,अरे तू ही कुछ कर
फिर तेरा तमाशा होगा
राम फिर तुझे जलाएगा
खुद मान, या उसको मना
सन्यासी न होता
अच्छा तू ही समझा दे उसे
कहीं मंथरा के कारण
अपना घर तोडना ठीक है
धोबी के कहने से सीता का त्याग
जरुरी है ,अरे तू ही कुछ कर
फिर तेरा तमाशा होगा
राम फिर तुझे जलाएगा
खुद मान, या उसको मना
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