देश की देखी थी, सीमा
पर हवाओं को खुले में
बहते देखा ,बारिशों को
कहीं भी बरसते देखा
सीमा तो बाँधी इंसान ने
नदियाँ अब तक आजाद थी
उनको भी पलटते देखा
इंसानों की वहशियत
नदी जंगल पहाड़ भी
भुगत रहे,हरयाली गुम है
पांडू रोग से पीड़ित जंगल
हवाओं को छानते वृक्ष
हत्याओं के शिकार
दुबकता डर से शेर
इन्सान नाम के जानवर से
हाथी की विशालता बौनी
साँपों के जहर से अधिक
जहरीला होता इंसान
अपने को श्रेष्ठ कहता इंसान
जानवर हुआ इंसान
पर हवाओं को खुले में
बहते देखा ,बारिशों को
कहीं भी बरसते देखा
सीमा तो बाँधी इंसान ने
नदियाँ अब तक आजाद थी
उनको भी पलटते देखा
इंसानों की वहशियत
नदी जंगल पहाड़ भी
भुगत रहे,हरयाली गुम है
पांडू रोग से पीड़ित जंगल
हवाओं को छानते वृक्ष
हत्याओं के शिकार
दुबकता डर से शेर
इन्सान नाम के जानवर से
हाथी की विशालता बौनी
साँपों के जहर से अधिक
जहरीला होता इंसान
अपने को श्रेष्ठ कहता इंसान
जानवर हुआ इंसान
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