शुक्रवार, 3 जून 2011

वक्त मत गवां

भूत की छांव को भूल जा ,
वर्तमान तेरे हाथ है
भविष्य ,
एक मोड़ के दूसरी तरफ
अनदेखा है, स्वप्न जैसा
अपनी हदें सिर्फ इस पार
यहीं जी,और देख
क्या तेरे सामने
निपट अभी और यहाँ
कैसा स्वप्न तू जी रहा
नींद से जाग ,बाहर आ
तेरे हाथ जो क्षण
उसे भरपूर जी
मुर्दा इतिहास और अनजान
भविष्य ,,,,,,सुधारने में
वक्त मत गवां
तू जी बस इसी पल
अभी और यहीं
जो तेरे हाथ है ,,,,,,,,

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