शुक्रवार, 17 जून 2011

चमकती हुई रोटी

परेशान हो या हैरान
बताओ मुझे
या करते हो परेशान
नौ दिन में चूक गए तुम
तुम्हारी परेशानी है
कि कुछ लुटेरे हैं
लूट रहे हैं ,क्या कर लोगे
जब सभी सोये हों
तुम्हारा काम था
तुम जगाते एक अलख
काम आसान हो जाता
पर तुम्हे नाम भी चाहिए

तुमने भूख नहीं देखी
बस अब देख ली न
अब समझो, उन्हें देखो
तुम पहले उनकी
समझो भूख
करो अब कुछ
रात को इस उम्मीद में
रोज रात को पथराई आँखों से
सिर्फ ख्वाब में देखते हैं
चमकती हुई रोटी
लोग अभी ऐसे भी है
इनकी ताकत नहीं
के उठा सकें कोई झंडा
डराता है इन्हें
अभी कोई डंडा

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