शुक्रवार, 3 जून 2011

फिर सुबह होगी

सदा कोई तुम्हारा साथ देदे
मुमकिन नहीं और
तुम भी जीते हो जिंदगी
अपने ढंग से ,
जियो ,,,खूब जियो
लेकिन दिन के उत्पात
और ,शतरंजी चालें
अब जाओ भूल
वक्त वक्त की बात है
अब रात है ,
फिर सुबह होगी
करो इंतजार
दिन में तुम्हारे साथ था
लेकिन अब अपने
एकांत से मिलाओ हाथ
बहुत थके हो .बस अब
अपने में खो जाओ
 

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