शुक्रवार, 3 जून 2011

माँ!!!!!!प्रणाम !!!

माँ!!!!!!प्रणाम !!!
जो औलाद के लिए
सब कुछ करे न्योछावर ,
उस माँ को प्रणाम
माँ सिर्फ माँ है
माँ का विकल्प भी माँ है
जो भूल चुके हैं, माँ के उपकार
जरा आज कुछ देर
एकांत में याद करो
माँ क्या होती है
क्या उसे याद करते ही
तुम्हारे दिल में
कुछ पिघलता है
यदि नहीं तो अभागे हो
तुमने माँ नहीं देखी

याद करो माँ, और बचपन
जब दौड़ते ही गिर जाते थे
तड़पने वाला दिल किसका था
जब सर्द हवाओं से
तुम्हारी नाक बहती थी
नई साड़ी ,या दुपट्टे से
बिना सोचे ,पौंच देती थी
तुम गोद को उसकी
करते थे गन्दा
वह मुस्कुराती थी
माथे पे सिकुडन न लाती थी
तुम्हारी नींदों की खातिर
रात को जगती थी
और बाप के कुछ भी हों
उपकार तुम पर
तुम्हे लाने को संसार में
प्रसव पीड़ा माँ ने झेली थी

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