जब भी तुम चाहो
तुम आ जाओ
मेरे घर न चौखट है न दरवाजे
इस घर में तकलीफ भी
रहती है ,बड़ी खुश होकर
और हम भी उसे अब
अपने घर का मान चुके हैं
कुछ दिन पहले, एक साजिश
करते थे, चौराहे पर, कुछ लोग
सबकी तकलीफें, दूर कर देंगे
कैसे कर सकते हैं ,वह ऐसा कुछ
हमारी तकलीफ से क्यों चिड़ते हैं
उन्हें हमारी कोई चीज
ख़राब क्यों लगती है
उसे हटाना क्यों चाहते हैं
ये तकलीफें बेचारी कहाँ जाएँगी
कहाँ रहेंगी,, हमारे घर
चैन से रहती हैं
कितना साथ देती है हमारा
जब रसोई में केरोसिन का
डिब्बा खाली हो जाता हो
या आटे का थैला
बच्चे का मास्टर
ट्यूशन देर तक
पढाता है जिस दिन
मकान मालिक
मुस्कुरा कर देखता है
जिस दिन, हाँ उस दिन भी
जब आ रही हों
खुशियाँ मेरे घर नखरे से
तुम फिर भी मुस्कुराती हो
अब तुम भी आ जाओ भगवान
तुम उसके साथी हो
हो सकता है मेरे घर चौंक जाएँ सब
और पूछें तुमसे ,,,,,
,""क्या तू ही भगवान है "
तुम आ जाओ
मेरे घर न चौखट है न दरवाजे
इस घर में तकलीफ भी
रहती है ,बड़ी खुश होकर
और हम भी उसे अब
अपने घर का मान चुके हैं
कुछ दिन पहले, एक साजिश
करते थे, चौराहे पर, कुछ लोग
सबकी तकलीफें, दूर कर देंगे
कैसे कर सकते हैं ,वह ऐसा कुछ
हमारी तकलीफ से क्यों चिड़ते हैं
उन्हें हमारी कोई चीज
ख़राब क्यों लगती है
उसे हटाना क्यों चाहते हैं
ये तकलीफें बेचारी कहाँ जाएँगी
कहाँ रहेंगी,, हमारे घर
चैन से रहती हैं
कितना साथ देती है हमारा
जब रसोई में केरोसिन का
डिब्बा खाली हो जाता हो
या आटे का थैला
बच्चे का मास्टर
ट्यूशन देर तक
पढाता है जिस दिन
मकान मालिक
मुस्कुरा कर देखता है
जिस दिन, हाँ उस दिन भी
जब आ रही हों
खुशियाँ मेरे घर नखरे से
तुम फिर भी मुस्कुराती हो
अब तुम भी आ जाओ भगवान
तुम उसके साथी हो
हो सकता है मेरे घर चौंक जाएँ सब
और पूछें तुमसे ,,,,,
,""क्या तू ही भगवान है "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें