शनिवार, 4 जून 2011

मैं सपने बेचता हूँ,,,,,,,,,,,


मैं सपने बेचता हूँ,,,,,,,,,,,
तेरे लिए कुछ दुआएं हैं मेरे पास
तू जब सोये तो सपनों में देखे
जो दिन में तू कभी पा ना सका
और सब कुछ पा जाये सपनों में
बस अब मैं कुछ सपने बेचता हूँ
.........
मैं सपने बेचता हूँ,,,,,,,,,,,
सपने रंगीन हैं ,हसीन हैं
कंजूसी मत करना देखने में
कोई कीमत नहीं अदा करना
हंसना नाचना और गाना बस
.............
मैं सपने बेचता हूँ,,,,,,,,,,,
माँ,ना दे सकी जो खिलौना
ढूंढ़ लेना मिल जायेगा जरुर
परवाह मत करना कि तू वहां
सुल्तान से कम नहीं है ,,,

1 टिप्पणी: