गुरुवार, 30 जून 2011

तेरी ,,,ख़ामोशी कहती है

मुहँ छिपाने से
आँख बंद कर लेने से
मुसीबतें टला नहीं करती
आँख खोल अक्सर तो ये
कई बार आँख मिलाते
डर जाती हैं

तेरी चुप्पी तुझे
कटघरे में ला देती है
तू भी तो हुंकार भर
देख और आजमा
कैसे लोग ऊँची आवाज में
झूठ को सच साबित करते है

सच ही बोल
अरे बोल तो सही
लोग मौन को अब
कहाँ समझते हैं
जोर से कह
देख ये तमाम
भौम्पू अपने झूठ को
सच साबित करते हैं

अब मौन से
काम न चलेगा
सच को सामने
लाना ही होगा
अब अन्धो को
चाँद दिखता नहीं
उन्हें ऊँची आवाज में
बताना होगा

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