अब चलो न
क्या यहाँ है, ऐसा
अपनी दुनिया में
चलते हैं वापिस
यहाँ सब कुछ है
मुहब्बत नहीं है
बन्दे हैं खुदा के
मुहब्बत ही खुदा है
लोग कहते हैं
नुमाइंदे हैं खुदा के
खुदा के नाम पर
इंसाफ यूँ करते हैं
मुहब्बत को सलीब पर
टांग देते हैं
नहीं जानते वो
क्या करते है
नहीं जानते मुहब्बत
खुद ही खुदा है
खुदा के नाम पर
इंसाफ करता आदमी
काजी और पंडितो की
किताबों में कैद ,होता हुआ
खुदा और भगवान
किस वहम में है,
ये आदमी
क्या खुद भगवान होता है
कभी आदमी
हाथ में लिए है तलवार जो
मुहब्बत के लहू से
उस पर लिख दी खुदाई
क़त्ल कर दिया है भगवान का
जालिम हो गया है आदमी
दिखता नहीं अब कहीं खुदा
और भगवान भी
मुहब्बत भरे दिल में
पड़ा रहता बेफिक्र सा
है तो घर खुदा का दिल में ही
फिर क्यों नहीं समझता हर आदमी
क्या यहाँ है, ऐसा
अपनी दुनिया में
चलते हैं वापिस
यहाँ सब कुछ है
मुहब्बत नहीं है
बन्दे हैं खुदा के
मुहब्बत ही खुदा है
लोग कहते हैं
नुमाइंदे हैं खुदा के
खुदा के नाम पर
इंसाफ यूँ करते हैं
मुहब्बत को सलीब पर
टांग देते हैं
नहीं जानते वो
क्या करते है
नहीं जानते मुहब्बत
खुद ही खुदा है
खुदा के नाम पर
इंसाफ करता आदमी
काजी और पंडितो की
किताबों में कैद ,होता हुआ
खुदा और भगवान
किस वहम में है,
ये आदमी
क्या खुद भगवान होता है
कभी आदमी
हाथ में लिए है तलवार जो
मुहब्बत के लहू से
उस पर लिख दी खुदाई
क़त्ल कर दिया है भगवान का
जालिम हो गया है आदमी
दिखता नहीं अब कहीं खुदा
और भगवान भी
मुहब्बत भरे दिल में
पड़ा रहता बेफिक्र सा
है तो घर खुदा का दिल में ही
फिर क्यों नहीं समझता हर आदमी
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