कबीर ने कह दिया
जो चाहा कह दिया
मछली पेड़ पर चड़ा दी
पानी में लगादी आग
कबीर का सूरज
चाहे तो उग जाए
पशचिम से
हिमालय की बर्फ उष्ण
और सूरज देता
बर्फ सी ठंडक
कबीर के क्या कहने
कुछ भी बक दें
माँ कौन बाप कौन
संस्कार कैसे
,,,,,,,
और बुद्ध के प्रमाण
मर्यादित, संस्कारित, सरल
मुस्कुराते सहज
सहलाते लोरी गाते
कोई काट नहीं
न कोई विरोध ,आक्रोश
राजा थे राजा रहे
बादशाह हो गए
.................
जब उस महायात्रा पर
दोनों पहुंचे एक साथ
दोनों बुद्ध थे दोनों कबीर थे
भिक्षु और बादशाह थे
अपने सबके मार्ग
कंटीले या सरल
जैसे भी पार हो गए
जो चाहा कह दिया
मछली पेड़ पर चड़ा दी
पानी में लगादी आग
कबीर का सूरज
चाहे तो उग जाए
पशचिम से
हिमालय की बर्फ उष्ण
और सूरज देता
बर्फ सी ठंडक
कबीर के क्या कहने
कुछ भी बक दें
माँ कौन बाप कौन
संस्कार कैसे
,,,,,,,
और बुद्ध के प्रमाण
मर्यादित, संस्कारित, सरल
मुस्कुराते सहज
सहलाते लोरी गाते
कोई काट नहीं
न कोई विरोध ,आक्रोश
राजा थे राजा रहे
बादशाह हो गए
.................
जब उस महायात्रा पर
दोनों पहुंचे एक साथ
दोनों बुद्ध थे दोनों कबीर थे
भिक्षु और बादशाह थे
अपने सबके मार्ग
कंटीले या सरल
जैसे भी पार हो गए
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