शुक्रवार, 17 जून 2011

तू नहीं है, हकीकत ,,

***
अब भी तेरा मैं
क्यों करता हूँ इंतजार
मैं जान भी गया हूँ
तू नहीं है, हकीकत
है, सिर्फ ख्वाब
तू है कैसे मान लूँ
क्या तू है एक चाँद
नहाया तेरी चांदनी से
कई बार, पर तू 
आसमान पर और मैं
यहाँ तू आता नहीं यहाँ
चल इतना कर
मुझे ही बुला
तेरे बिना मैं कुछ नहीं
समझता है तू भी
फिर क्या है इंतजार
मैं अब खुद ही
मिटने को तैयार

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