बुधवार, 8 जून 2011

चूहा ही हूँ ,

चूहे ने कुतर दिए कुछ कपडे
कुछ आलू ,और ब्रेड
इसके अतिरिक्त कुछ और
मैंने पूछा ..जब तुझे
पूरा नही खाना था
जगह जगह दांत क्यों मारे
जितनी भूख है उतना ही खाले
यह सब क्यों कुतर डाला
चूहे ने मुझसे कहा
चूहा ही हूँ ,
कुतर ही सकता हूँ
निगलता तो नहीं
और रही भूख की बात -
यह तुम मुझे नहीं
उन्हें समझाओ न
जो पूरा देश निगल रहे हैं
अरे तुम आदमियों की
औसत उम्र सौ साल है
रोज एक हजार भी खर्च करो
तो ,तीन करोड़ पैंसठ लाख में
सौ साल के लिए काफी हैं
फिर यह हजारों करोड़
क्यों निगल डाले
यह सुन मैं चुप हो गया
अब समझा गणेश जी
समृद्धि के देवता क्यूँ हैं
उनके मंत्री ,कलमाड़ी
या कोई और नहीं हैं

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