शुक्रवार, 3 जून 2011

बाप साला मर ही जाता ,,,,,,

अभी कुछ दिन पहले
भूकंप में उसका घर गिर गया
बस जान बच गई
बगल के घर में
एक वृद्धा दीवार गिरने से मर गई
मुवावजा एक लाख मिल गया
और ये सब
आँगन में तिरपाल में सोते थे
बाप बूढ़ा था.
माँ सौतेली बाप से जवान 
थी कुछ बीमार
उम्र चौबीस थी
साइकिल पर दूध बेचता था

मेरे घर में सुबह के वकत
आवाज सुनाई दी
मेरी पत्नी की थी
हमें नहीं चाहिए तेरा दूध
दूध है या पानी,,जा लेजा इसे
बाजार से मंगा लेंगे
वह बोला दीदी जी
माँ के लिए दवा ले जानी है
हाँ, आज मैंने भी सच कहता हूँ
पानी मिलाया है
रोज मैं नहीं मिलाता
वही मिलाता है जिसका ये दूध है
मेरे घर आज खाना भी नहीं बना है

पत्नी की आवाज कुछ नरम हुई
बोली सरकारी अस्पताल से
क्यों नहीं लेता दवा
वह बोला घर भी नहीं है अब
बाप भी बूढ़ा है
पिच्चासी साल का
मर ही जाता साला
दीवार के नीचे तो
एक लाख मुआवजा मिल जाता
कुछ घर बनता
माँ की दवा भी आती
लोगों की बदनामी भी न आती
कि सौतेली माँ का इलाज
करवा न पाया
बाप को तो वैसे भी
कुछ दिन में मरना है

भूकंप से मरता
क्या बिगड़ जाता
पत्नी जो आम तौर
मजबूत दिल वाली है
गुमसुम हो गई
उसे कुछ राशन दिया
और कमरे में जा रोने लगी
उसका
"पत्थर दिल मोम बन गया"

एक गरीब के पास क्या है
दांव पर लगाने को
जान की बाजी लगाता है
यही तो हो रहा है
हर तरफ कोई ही कहता है
वर्ना सोच सभी की यही है

पत्नी कभी अब उससे पानी की
शिकायत नहीं करती
आज एक महीने बाद
मुझसे बोली दूध हिसाब देना है
दो सौ फालतू देना
एडजस्ट कर लेंगे
लेकिन दूध वाला नहीं आया
किसी ने बताया
उसका बाप मर गया है
सच कहता था वह
मरना था तो पहले मरता
कुछ परिवार का भला हो जाता
मरने का खर्चा भी
मौत से आज कम नहीं

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