रविवार, 12 जून 2011

अगर तू है,,,,,,

क्या करूँ
तेरी तस्वीर से
उलझ जाता हूँ
तू है,ये सच है
या, वहम है मेरा
अगर तू है
कभी तो मिल

तू क्यों सताता है
छलिया है, तू
ये छल अब
मुझसे न कर
मेरी कहाँ है
इतनी ताकत
मै सह न पाऊंगा
अब और ये सितम

तू आ अभी
नहीं तो क्या
जब मैं आऊंगा
एक दिन
तू नजरे न चुराएगा
आना तो मुझे होगा ही
पर रूठ जाऊँगा
मानूगा नहीं

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