गाय के सींग हैं, मगर
उससे कोई डर नहीं
गाय माता है
माँ, से कोई क्यों डरे
दूध से पलता रहा
बचपन जवानी
और बुढ़ापा
खाती रही घास, और
घर का बचा हुआ
दूध तो दूध है
उसके त्याज्य मूत्र
और गोबर में भी
हैं कई औषधि
तेरे पूजा जप पाठ
अधूरे हैं बिन गोमूत्र
जिन्दा है ,तो भी उपयोगी
मर जाये फिर भी उपयोगी
तेरे पांव कांटा न लगे
अपनी खाल से
रखती है ख्याल
जूते, चप्पल या सैंडल
ढकती तेरे पांव
आखिर वो माँ है ,न
पर तू निपट स्वार्थी
छोड़ देता है उसे
सड़कों पर ,भूखा
भूख किसे नहीं लगती
प्लास्टिक में लिपटे
झूठे खाद्य पदार्थ खाती
और ,गाय को नहीं मालूम
तूने, प्लास्टिक में
उसकी मौत तैयार की
उसने तुझे जिन्दगी दी
तू दे रहा है मौत
किसी ने चलायी छुरी
उसके गले और किसी ने
प्लास्टिक खाने को दी
कौन है, कम अपराधी
मौत तो दोनों ने दी
उससे कोई डर नहीं
गाय माता है
माँ, से कोई क्यों डरे
दूध से पलता रहा
बचपन जवानी
और बुढ़ापा
खाती रही घास, और
घर का बचा हुआ
दूध तो दूध है
उसके त्याज्य मूत्र
और गोबर में भी
हैं कई औषधि
तेरे पूजा जप पाठ
अधूरे हैं बिन गोमूत्र
जिन्दा है ,तो भी उपयोगी
मर जाये फिर भी उपयोगी
तेरे पांव कांटा न लगे
अपनी खाल से
रखती है ख्याल
जूते, चप्पल या सैंडल
ढकती तेरे पांव
आखिर वो माँ है ,न
पर तू निपट स्वार्थी
छोड़ देता है उसे
सड़कों पर ,भूखा
भूख किसे नहीं लगती
प्लास्टिक में लिपटे
झूठे खाद्य पदार्थ खाती
और ,गाय को नहीं मालूम
तूने, प्लास्टिक में
उसकी मौत तैयार की
उसने तुझे जिन्दगी दी
तू दे रहा है मौत
किसी ने चलायी छुरी
उसके गले और किसी ने
प्लास्टिक खाने को दी
कौन है, कम अपराधी
मौत तो दोनों ने दी
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