खुद को तराशता हूँ मैं
जर्रा जर्रा कतरा` कतरा
छीलता जा रहा हूँ
प्याज के छिलकों की तरह
ये जिंदगी भी ,रहस्य है
छिलकों की जैसी
मगर ,उधडती हुई
कहाँ जा रही है
तेरे कब काम आऊंगा
कब तेरा विशवास पाऊंगा
लोगों ने बहकाया मतकर
विशवास ,छला जाएगा
नहीं फिकर मुझे
"विष" में "वास" करने में भी
नहीं डर कोई,विश्वास करता हूँ
फैंक चूका हूँ ,समंदर में खुद को
अब क्या होगा डूब जाऊँगा
या किनारा पा जाऊँगा
डूब कर तुझमें मिटाकर खुद को
तुझे पा जाऊँगा ,वैसे भी मुझे
अब किनारों से ज्यादा
तेरी लहरों में डोलना
स्वीकार है, तू कुछ भी कर
तुझे भी मुझसे प्यार है
मुझे विश्वास है
यही मेरा प्यार है
और तू भी है,,मेरा
यह तुझे भी विश्वास है
जर्रा जर्रा कतरा` कतरा
छीलता जा रहा हूँ
प्याज के छिलकों की तरह
ये जिंदगी भी ,रहस्य है
छिलकों की जैसी
मगर ,उधडती हुई
कहाँ जा रही है
तेरे कब काम आऊंगा
कब तेरा विशवास पाऊंगा
लोगों ने बहकाया मतकर
विशवास ,छला जाएगा
नहीं फिकर मुझे
"विष" में "वास" करने में भी
नहीं डर कोई,विश्वास करता हूँ
फैंक चूका हूँ ,समंदर में खुद को
अब क्या होगा डूब जाऊँगा
या किनारा पा जाऊँगा
डूब कर तुझमें मिटाकर खुद को
तुझे पा जाऊँगा ,वैसे भी मुझे
अब किनारों से ज्यादा
तेरी लहरों में डोलना
स्वीकार है, तू कुछ भी कर
तुझे भी मुझसे प्यार है
मुझे विश्वास है
यही मेरा प्यार है
और तू भी है,,मेरा
यह तुझे भी विश्वास है
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