Vyom
सोमवार, 4 जुलाई 2011
paheli
अनमोल सी पहेली
क्षितिज के पार
एक ऐसा जगत
पुकारता मुझे
मैं सुनती एक आहट
कोई पहचानता मुझे
मैं अजनबी रही वह
अपना सा था जैसे
मेरा एक सपना सा था
वह आहट कुछ जानी और
पहचानी सी थी
हाँ एक दिन इसी घर से
मुझे लाया गया
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