शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

rishte,,,,,

क्या रिश्तों का 
कोई नाम ज़रूरी है ?
बेनामी रिश्ते क्या,,
रिश्ते नहीं हुआ करते,,
रिसते हुए हुए आंसू, 
न सहारा दे पाए
रिश्ते नहीं हुआ करते,

दर्द के भागीदार हों,
वही बेनामी रिश्ते
सच्चे हुआ करते हैं,
किसी नाम के मोहताज़
नहीं हुआ करते,
असल में खून से नहीं
रिश्ते प्रेम से बनते हैं,

हिन्दू नहीं, न मुसलमाँ
हुआ करते हैं ये रिश्ते,
मजबूत दीवारों से
न जंजीरों से बंध पाते
प्रेम की कच्ची डोर से
खुद बंध जाते हैं रिश्ते,,,,,,,,,,,

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