शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

rishte,,,,,

क्या रिश्तों का 
कोई नाम ज़रूरी है ?
बेनामी रिश्ते क्या,,
रिश्ते नहीं हुआ करते,,
रिसते हुए हुए आंसू, 
न सहारा दे पाए
रिश्ते नहीं हुआ करते,

दर्द के भागीदार हों,
वही बेनामी रिश्ते
सच्चे हुआ करते हैं,
किसी नाम के मोहताज़
नहीं हुआ करते,
असल में खून से नहीं
रिश्ते प्रेम से बनते हैं,

हिन्दू नहीं, न मुसलमाँ
हुआ करते हैं ये रिश्ते,
मजबूत दीवारों से
न जंजीरों से बंध पाते
प्रेम की कच्ची डोर से
खुद बंध जाते हैं रिश्ते,,,,,,,,,,,

सोमवार, 4 जुलाई 2011

jivan shesh hai

नासा के वैज्ञानिक
अभी चंद रोज पहले
देखते मंगल को
और कहा शायद
मंगल में जीवन
पूरी संभावना है
मिले लक्षण विशेष

मंगल के नागरिक
झांकते धरती
और आपस में
फुसफुसाते
ताज्जुब अभी भी
इराक ,अफगानिस्तान
और कई इलाकों पर
जीवन अब भी शेष !!!

jindgi

जिन्दगी को यारों हल्का करो
बहुत हैं बोझ उठाया हुआ
खामखाह हर बात को
दिल पर लगाया न करो
नाजुक है दिल इसे रुलाया न करो
कोई रूठ जाए तो
तुम भी रूठ जाया न करो
आगे बड़ उन्हें मनाया करो और
वो मनाएं तो मान जाया करो
पता नहीं फिर कभी मिले न मिले
बस ऐसे मिलो किसी से
ख्यालों से फिर न जाया करो

dakiya

चिट्ठी लिखी हुई
किसी और की है
भाषा कुछ तल्ख़ हो
प्रेम भरी, या नरम,गरम
गुस्ताखियाँ ज़माने की हैं
डाकिये को दोष न दो

बिना परहेज चला जाता हूँ
कई बस्तियों में
सुनता हूँ कह देता हूँ
वही बात ,उनकी जुबान से

मैं तो बस डाकिया हूँ
पहुंचा देता हूँ
चिट्ठिया मुझे दोष न दो
बंद लिफाफे में होता है क्या
सुख दुःख ,या कुछ और
कथा है व्यथा नहीं जानता

मेरी अपनी कोई बात नहीं
मेरा धर्म है चिट्ठी बाँटना
बाँट देता हूँ ,पढो जो लिखा
ख़ुशी है इनाम मत दो
ग़मी है तो इल्जाम भी न दो

ram ki pooja

राम तुम्हारी
करता हूँ पूजा
माँ,ने कहा है,ऐसा
तुमने रावण को मारा
ताड़का को संहारा

वन को गए
आज्ञाकारी हो
राजपाठ त्यागा
तुम महान हो

मुझे तुम्हारा
दूसरा रूप ही भाता
तुम केवट को लगाते
प्रेम से गले
शबरी के झूठे बेर में
तुम्हे सच्चा प्रेम
दिख जाता ,,,

sundarta

***
खूबसूरती किसी की
मुस्कराहट में देखता हूँ
मुस्कुराता सांवला सा
कन्हैय्या ,,,,

नजर जब भी आती, वंशी
मुझे बांस भी सुन्दर
नजारा आता है

गुलाब जब मुस्कुराता है
मुझे चन्दन
दिखती है वो मिटटी
जहाँ वह उग आता है

तेरी पूजा तो न की कभी
लेकिन जो तेरी याद में
बहाए जो आंसू, मुझे वो
सुन्दर नजर आता है

hanso aur hansaao

हड्डियों की बात करो
कुत्तों की याद आती है
सड़े गले मांस से
ये कैसी बू आती है

खोलो दिमाग की
कुछ खिड़कियाँ
कचरा विचारों को
त्याग दो ,कि
पास खड़े लोगों को
सड़ांध आती है

कोई जानवर नहीं
ऐसा जो हँसता हो
ये सिर्फ आदमी है
जो कर सकता ऐसा
हंसो और हंसाओ
के जीने के लिए
दवा से ज्यादा
आक्सीजन जरुरी है